Unnatural Love – A Short Story In Hindi by Deepak Giri
एक बार शहर से काफी दूर एक गाँव से उसी डाकघर में अर्जी आई कि उनके पास काम ज्यादा बढ़ गया है इसलिए उन्हें एक डाकिया की जरूरत है. ऐसे में शहर में रहने वाले लगभग सभी डाकिया गाँव जाने के लिए तैयार नहीं हुए. चूंकि राजेश अकेला रहता था और उसकी फैमिली भी नहीं थी, इसलिए वो गाँव जाने के लिए तैयार हो गया.
राजेश ने उस गाँव में जाकर एक छोटा सा कमरा देखा और वहीँ से अपनी साइकिल से रोजाना डाकघर आने जाने लगा. गाँव में राजेश का डेली रुटीन वैसे ही था जैसे कि शहर में था. सुबह टाइम से उठकर डाकघर की पहुंचना और जितना हो सके लोगों की मदद करना. धीरे-धीरे ऐसे ही समय बीतता गया.
एक दिन राजेश शाम को अपनी साइकिल से घर आ रहा था तभी रास्ते में अचानक एक छोटा बच्चा लड़खड़ाकर गिर गया और लुढ़कते हुए बीच सड़क पर आ गया. सड़क पर ट्रैफिक इतना ज्यादा था कि आस पास खड़े लोग उसे बचाने का साहस तक भी नहीं कर पा रहे थे.
राजेश ने जैसे ही उस बच्चे को देखा उसने आव देखा ना ताव अपनी साइकिल छोड़कर उस बच्चे को बचाने के लिए दौड़ पड़ा. सड़क के किनारे खड़े हुए सभी लोग ये नजारा देख रहे थे लेकिन कोई भी उस बच्चे की मदद के लिए आगे नहीं आया. सबकी मदद करने वाले राजेश ने हिम्मत दिखाई और बच्चे को बचा लिया. बच्चे को तो राजेश ने सही सलामत बचा लिया लेकिन इसमें राजेश को थोड़ी चोट जरूर आई.
इस दुर्घटना के बाद राजेश वहां से सीधे डॉक्टर के क्लिनिक गया और पट्टी कराकर घर आ गया. अगले दिन रोज की तरह वो डाकघर निकल गया. वापसी में घर आते समय राजेश के दिमाग में ये ही बातें चल रही थीं कि आखिर दुनिया कितनी मतलबी है? क्योंकि वहां खड़े लोगों में से किसी ने भी उस असहाय बच्चे को बचाने की कोशिश तक नहीं की.
राजेश ये सब सोच ही रहा था कि दुर्घटना वाली जगह उसे अचानक एक लड़की ने रोक लिया. उसने लड़की से पूछा -
राजेश : बताइये, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
लड़की : नहीं, मुझे मदद नहीं चाहिए बल्कि मैंने आपको कल उस छोटे बच्चे की जान बचाते हुए देखा था. कल आपको चोट भी आई थी और आप जल्दी निकल गए. इसलिए आपसे मिल नहीं पाई.
राजेश : क्या आप उस बच्चे को जानती थीं?
लड़की : नहीं, बस मैं भी बाकि लोगों की तरह सड़क किनारे खड़ी हुई थी. हालांकि मैं भी उस बच्चे की जान बचाना चाहती थी लेकिन मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी कि अपनी जान जोखिम में डालकर उस बच्चे को बचा सकूं. तभी मैंने आपको देखा. आपने बहुत ही नेक काम किया है.
राजेश : नहीं, मैं इसे नेक काम नहीं बल्कि अपना फर्ज मानता हूँ. आज हम किसी की मदद नहीं करेंगे तो कल जरूरत में हमारी मदद कौन करेगा?
लड़की : काश इस दुनिया में सभी की सोच आप जैसी ही हो जाये.
इतनी बात होने के बाद राजेश वहां से अपने घर की तरफ आ गया. अगले दिन पोस्ट ऑफिस से घर आते समय रस्ते में राजेश को वही लड़की फिर से खड़ी मिली. दोनों फिर से बातें करने लगे.
लड़की : मैं 2 दिन से आपके बारे में ही सोच रही हूँ.
राजेश : क्यों?
लड़की : आप कितने ईमानदार हैं और हमेशा लोगों की मदद के लिए आगे खड़े रहते हैं. काश मेरा जीवनसाथी भी मुझे ऐसा ही मिले.
राजेश : अभी तक आपकी शादी नहीं हुई है?
लड़की : नहीं, अभी तक मुझे कोई ऐसा लड़का मिला ही नहीं. लेकिन आप बुरा ना मानें तो क्या हम दोस्त बन सकते हैं?
राजेश : मैं आपको जनता तक नहीं हूँ, फिर कैसे हम दोस्त बन सकते हैं?
लड़की : ऐसा करते हैं, पहले हम एक दूसरे को जान लेते हैं फिर दोस्ती को आगे बढ़ाते हैं.
राजेश : ठीक है, फिलहाल रात ज्यादा हो चुकी है. इसलिए मुझे निकलना होगा, कल मिलते हैं.
इतना कहकर राजेश वहां से निकल गया. अगले दिन वो जैसे ही पोस्ट ऑफिस पहुंचा तो देखता है कि वो लड़की पहले से ही उसके पोस्ट ऑफिस के बाहर खड़ी हुई है. देखकर उसे हैरानी हुई.
राजेश : आपको कैसे पता चला कि मैं यहाँ काम करता हूँ?
लड़की : बस पता लगा लिया, जिन्हें हम दिन से अपना मानते हैं उनके बारे में पता लगाना कौन सी बड़ी बात है. मैंने सोचा कि क्यों ना यहाँ आकर आपको सरप्राइज दूं.
राजेश : ओहो! तो ये बात है. चलो अन्दर चलते हैं.
इतना कहकर राजेश और वो लड़की दोनों पोस्ट ऑफिस के अन्दर चले गए. अन्दर जाते समय सभी लोग राजेश को घूर-घूर कर देख रहे थे. क्योंकि इससे पहले उसे इस तरह उन्होंने कभी नहीं देखा था. उस दिन राजेश ने छुट्टी ले ली और जल्दी ही उस लड़की के साथ घर आ गया.
दोनों काफी खुश थे लेकिन गाँव में पहुँचने के बाद गाँववाले भी राजेश को घूर रहे थे और अच्चार्यचकित थे कि राजेश पहले तो ऐसा नहीं था. हालांकि इस बात पर राजेश ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने घर पहुँच गया. घर पहुंचकर राजेश ने खाना बनाया और उस लड़की को खाने के लिए बुलाया. लड़की ने बताया कि आज उसका व्रत है. इसलिए वो अगले दिन खाएगी.
इसके बाद राजेश ने खाना खाया और दोनों बाहर घूमने के लिए निकल गए. दिन भर साथ में रहने के बाद राजेश ने उस लड़की से कहा -
राजेश : मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ.
लड़की : दरअसल मैं भी अनाथ हूँ. मेरा भी आप ही की तरह कोई नहीं है. आप बुरा ना मानें तो क्या मैं आपके साथ रह सकती हूँ.
राजेश : (हिचकिचाते हुए) ये सब ठीक नहीं है. बाकि लोग मेरे बारे में अभी तक अच्छा सोचते हैं लेकिन आपको देखकर लोगों की सोच मेरे प्रति बदल जाएगी और मैं ये नहीं चाहता.
लड़की : अगर आप मेरे बारे में अच्छा सोचते हो और मुझे पसंद करते हो तो हम शादी कर लेंगे. वैसे भी हमारे आगे-पीछे कोई नहीं है.
राजेश : (थोड़ा सोचते हुए) ठीक है, मुझे एक दिन का समय चाहिए.
लड़की : ठीक है. लेकिन आज काफी रात हो चुकी है, तो क्यों ना आपके साथ चलूँ, सुबह होने से पहले चली जाउंगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा.
राजेश ने उसकी बात मान ली और दोनों घर की तरफ चल दिए. घर पहुँचकर राजेश ने खाना खाया और दोनों सोने के लिए चल दिए. राजेश उस लड़की को काफी पसंद करने लग गया था और शायद उसे प्यार भी हो गया था. वो दोनों देर रात तक बातें करते रहे और बातें करते-करते कई घंटे बीत गए. तभी अचानक बिजली चली गई.
राजेश ने उठकर मोमबत्ती जलाई और फिर से बिस्तर में आकर लेट गया. उन दोनों ने कुछ देर और बातें की, इसके बाद राजेश ने उस लड़की से कहा कि मोमबत्ती बुझा दो, अब सो जाते हैं, क्योंकि उसे सुबह काम पर भी जाना है. मोमबत्ती उनके बिस्तर से थोड़ा दूर थी. इसलिए उस लड़की ने बिस्तर से उठने की बजाय अपना हाथ आगे बढ़ाया और मोमबत्ती बुझाने की कोशिश की.
लड़की का हाथ मोमबत्ती तक नहीं पहुँच रहा था तभी राजेश ने देखा कि उस लड़की का हाथ लंबा ही होता चला जा रहा है. लड़की ने मोमबत्ती तो बुझा दी लेकिन तभी राजेश की आँखों के आगे अँधेरा छा गया. क्योंकि राजेश अब उस लड़की की हकीकत जान चुका था कि वो कोई आम लड़की नहीं बल्कि एक भटकी हुई आत्मा थी.
राजेश को हकीकत पता चल चुकी थी लेकिन वो लड़की अपनी इस गलती से अनजान थी. भई सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि भूतों से भी गलतियाँ हो सकती हैं. इस घटना के बाद राजेश पूरी तरह उस लड़की के बारे में सोचता रहा. वो सभी बातें उसके सामने आ गईं, जिनपर उसे ध्यान देना चाहिए था.
राजेश रात भर यही सोचता रहा कि कैसे वो लड़की उस बच्चे की जान नहीं बचा पाई. उसे पोस्ट ऑफिस के बारे में कैसे पता चल गया जबकि आस पास के गाँव में और भी पोस्ट ऑफिस थे. इतना ही नहीं पोस्ट ऑफिस वाले भी उसे घूर-घूर कर देख रहे थे लेकिन कोई भी राजेश के पास तक नहीं आया.
इसके बाद गाँव वालों का भी घूर-घूर आश्चर्य से देखना साथ ही उस लड़की का खाना ना खाना. ये सब बातें एक दम से राजेश के दिमाग में आने लगीं. आज राजेश को सबसे बड़ा पछतावा हो रहा था कि आखिर उसने किसी अंजान लड़की पर भरोसा क्यों किया. वो सोच में डूब गया कि अब वो उस लड़की से कैसे पीछा छुड़ाए. इसी सब उधेड़ बुन में वो सो नहीं पा रहा था. हालांकि सुबह के समय उसकी थोड़ी देर के लिए आँख लग गई.
राजेश जैसे ही सुबह उठा तो देखा कि वो लड़की वहां से गायब थी. अब राजेश के मन में यही चल रहा था कि हो सकता है वो आत्मा हमेशा के लिए चली गई है और ये भी हो सकता है कि वो उसे रास्ते में फिर से मिल जाए. ये सब सोचते हुए राजेश ने फैसला लिया कि वो आज काम पर नहीं जायेगा. क्योंकि रात में ना सोने की वजह से उसकी तबियत भी ख़राब हो गई थी.
राजेश डॉक्टर के पास गया और दवाई लेकर घर आ गया. दिन भर आराम करने के बाद खाना बनाया और सोने की तैयारी करने लगा. तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. राजेश दरवाजा खोलने गया तो देखकर हैरान रह गया. क्योंकि वही लड़की फिर से उसके सामने थी. राजेश काफी डर गया था. उसके समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे. हिम्मत करके उसने उसे अन्दर बुलाया और खाना खाने के लिए कहा. इस बार लड़की ने कहा कि वो बाहर से खाना खा कर आई है.
राजेश ने दिमाग लगाया कि उस लड़की को नहीं पता चलता चाहिए कि उसके बारे में उसे पता चल गया है. क्योंकि आख़िरकार वो एक आत्मा है और असलियत जानने के बाद वो कुछ भी कर सकती है. लेकिन राजेश का व्यव्हार देखकर उस आत्मा को थोड़ा धक्का जरूर लगा लेकिन राजेश ने अपनी तबियत खराब बताई तो उसे भरोसा हो गया.
इसके बाद रोजाना ऐसा हो होने लगा. वो आत्मा देर रात राजेश के घर आती और सुबह होने से पहले चली जाती. राजेश काम पर तो जाने लगा लेकिन दिन-प्रतिदिन उसकी तबियात ख़राब होती चली गई. राजेश ने कई डॉक्टर्स बदले लेकिन कोई फायदा नहीं मिल पाया.
राजेश पढ़ा लिखा था इसलिए उस आत्मा के बारे में किसी को बता नहीं पाया उसे शक था कि कोई उस पर यकीन करेगा कि नहीं. धीरे-धीरे राजेश की हालत खराब होती चली गई. एक रात राजेश ने हिम्मत दिखाई और उस लड़की से शादी करने के लिए मना कर दिया. इतना ही नहीं उसने उससे ये भी कहा कि उसे असलियत का पता चल गया है. लेकिन जब राजेश ने उस लड़की से जाने के लिए कहा तो उसने साफ़ मना कर दिया और कहा कि वो या तो उसके साथ रहेगी या फिर उसे साथ में लेकर जाएगी.
राजेश को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वो क्या करे. ऊपर से उसकी तबियत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही थी. इस पर जो भी कोई उसे किसी डॉक्टर के बारे में बताया वो उसी के पास चला जाता और दवाई ले आता. लेकिन इन सब से उसे कोई फायदा नजर नहीं आ रहा था.
धीरे-धीरे समय गुजरता गया और उस आत्मा ने राजेश का पीछा नहीं छोड़ा. राजेश मरने की हालत तक पहुँच गया. एक दिन गांववालों ने उसे किसी पुराने वैध के पास जाने के लिए कहा. हालांकि राजेश उम्मीद छोड़ चुका था. लेकिन गाँववालों के बार-बार कहने पर वो उसके पास चला गया.
वैध ने दवाईओं की कुछ पुड़िया बनाकर राजेश को दीं और अगले दिन आने के लिए कहा. दवाई लाने के बाद राजेश घर आया. राजेश दवाई ले चुका था लेकिन इस दवाई से भी उसे कोई फायदा नजर नहीं आ रहा था. बल्कि रात आते-आते उसकी धडकनें बढ़ रही थीं. क्योंकि रोजाना की तरह उस आत्मा से से फिर उसका सामना होने वाला था.
रात हुई और वो आत्मा फिर से राजेश के घर के दरवाजे पर आ पहुंची. राजेश ने दरवाजा खोला और उसे अन्दर आने दिया. राजेश कमरे तक जैसे ही पहुंचा तो देखता है कि वो आत्मा उसके पीछे नहीं है और अभी भी घर के दरवाजे के बाहर ही खड़ी है.
राजेश को बड़ा आश्चर्य हुआ, वो दरवाजे की तरफ मुड़ा. दरवाजे पर पहुँचते ही उस आत्मा ने राजेश से कहा कि उसकी जेब में जो दवाई की पुड़िया रखी है उसे फेंक दे. राजेश ने जैसे ही ये सुना उसको कुछ समझ नहीं आया लेकिन फिर भी उसे दवाई की पुड़िया आत्मा की कमजोरी जरूर लगी.
राजेश ने दवाई की पुड़िया फेंकने से मना कर दिया. इसके बाद वो आत्मा अन्दर नहीं आई और वहां से वापिस जाने पर मजबूर हो गई. अब राजेश के लिए सबसे बड़ा सवाल ये था कि आखिर उस दवाई में ऐसा क्या है कि वो आत्मा घर के अन्दर नहीं आ पाई.
राजेश ने तुरंत दवाई की पुड़िया देखी और दवाईओं को गौर से देखा. काफी टाइम देखने के बाद भी राजेश को कुछ पता नहीं चल पाया. राजेश ने फैसला किया कि सुबह होते ही उस वैध के पास जायेगा और इस बारे में पता लगाएगा. इस रात राजेश को काफी अच्छी नींद आई और सुबह के टाइम वो काफी स्वस्थ भी महसूस कर रहा था.
सुबह होते ही राजेश वैध के पास गया तो देखा कि वैध अपनी दुकान पर नहीं था. दुकान में एक छोटा लड़का था जो दवाईओं को पुड़िया में भर-भर कर रख रहा था. राजेश ने उस लड़के से वैध के बारे में पूछा तो उस लड़के ने बाताया कि वो देर से आएंगे.
राजेश कभी उस आत्मा के बारे में सोचता तो कभी वैध के बारे में. कभी दवाई के बारे में सोचता तो कभी उस पुड़िया के बारे में. यहाँ तक कि उस आत्मा के डर की वजह राजेश ने वो पुड़िया अभी भी अपनी जेब में ही रखी हुई थी. राजेश इसी उधेड़ बुन में था तभी उसकी नजर उस पुरानी किताब पर पड़ी जिसके पेज फाड़कर वो लड़का दवाई की पुड़िया बना रहा था.
राजेश ने जैसे ही वो किताब देखी तो उसकी आँखों में आंसू आ गए. क्योंकि वो ‘श्रीमद् भागवत गीता’ थी जो काफी पुरानी थी और जिसके काफी पेज फट चुके थे. इसलिए वो वैध उसमे से पुड़िया बनाकर मरीजों को दवाई रखकर दे रहे थे. बस राजेश ने ठान लिया कि अबसे वो उस पुड़िया को अपने से दूर नहीं रखेगा.
इसके बाद राजेश हमेशा ही उस पुड़िया को अपने साथ में ही रखने लगा और आत्मा ने भी उसके घार आना छोड़ दिया. धीरे-धीरे राजेश की तबियत सुधरने लगी और आखिरकार वो ठीक हो कर फिर से पोस्ट ऑफिस जाने लगा. एक साल बाद राजेश ने शादी कर ली और ख़ुशी-ख़ुशी अपनी पत्नी के साथ रहने लगा.
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